फ़ॉक्सलेन न्यूज़।  देश की राजधानी दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई होनी शुरू हो गई है। अब खुद को भारतीय नागरिक साबित करने के लिए केवल आधार कार्ड, पैन कार्ड या राशन कार्ड जैसे दस्तावेज मान्य नहीं होंगे। दिल्ली पुलिस ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि भारतीय नागरिकता का सबूत केवल वोटर आईडी कार्ड या पासपोर्ट ही माना जाएगा। यह फैसला केंद्र सरकार के निर्देश पर लिया गया है, जिसका मकसद बढ़ती अवैध घुसपैठ को रोकना है।

दिल्ली पुलिस ने सभी जिलों के डीसीपी को आदेश दिए हैं कि वे अपने क्षेत्र में रह रहे संदिग्ध विदेशी नागरिकों की पहचान करें और उन पर सख्त निगरानी रखें। दिल्ली में मौजूद करीब 3,500 पाकिस्तानी नागरिकों में से अब तक 400 से ज्यादा लोग वापस भेजे जा चुके हैं। विशेष रूप से मुस्लिम नागरिकों पर कार्रवाई की जा रही है, जबकि हिंदू शरणार्थियों को लॉन्ग टर्म वीजा के तहत राहत दी गई है।

हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। केवल डिप्लोमैटिक, मेडिकल और लॉन्ग टर्म वीजा को कुछ हद तक छूट दी गई है, लेकिन 29 अप्रैल के बाद मेडिकल वीजा भी अमान्य हो जाएंगे। दिल्ली पुलिस और खुफिया एजेंसियों को सभी पाकिस्तानी नागरिकों की सूची बनाकर उन्हें भारत छोड़ने का नोटिस देने का आदेश है।

 यह निर्णय न सिर्फ देश की सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अब दस्तावेज़ी पहचान में किसी भी तरह की चूक को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आने वाले समय में यह नीति अन्य राज्यों में भी लागू हो सकती है।

वोटर आईडी और पासपोर्ट ही होंगे नागरिकता के लिए मान्य

पिछले साल से चल रहे वेरिफिकेशन ड्राइव के दौरान दिल्ली पुलिस को यह देखने को मिला कि बड़ी संख्या में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिए आधार, पैन और राशन कार्ड के सहारे खुद को भारतीय नागरिक दर्शा रहे थे। कई मामलों में उनके पास UNHCR द्वारा जारी शरणार्थी कार्ड भी पाए गए। इससे असली-नकली की पहचान करना मुश्किल हो गया था। ऐसे में अब वोटर आईडी और पासपोर्ट को ही अंतिम प्रमाण मानने का फैसला किया गया है।

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