
फ़ॉक्सलेंन न्यूज़। उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं पर महंगाई की एक और बड़ी मार पड़ सकती है। प्रदेश में बिजली दरों में रिकॉर्ड वृद्धि की तैयारी चल रही है। यूपी पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने नियामक आयोग (UPERC) को एक नया प्रस्ताव सौंपा है, जिसमें शहरी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरों में 40 प्रतिशत और ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 45 प्रतिशत तक की वृद्धि का प्रस्ताव रखा गया है। यह अब तक की सबसे बड़ी बढ़ोतरी मानी जा रही है।

सूत्रों के अनुसार, यूपी पावर कारपोरेशन ने यह प्रस्ताव सुनवाई की तिथि तय होने के बाद गुपचुप तरीके से दाखिल किया है। नियामक आयोग पहले ही 7 जुलाई को सार्वजनिक सुनवाई की घोषणा कर चुका है। अब इस नए प्रस्ताव में विभिन्न श्रेणियों – घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक – के लिए अलग-अलग दरों में इजाफे की मांग की गई है।
शहरी घरेलू उपभोक्ता: 35-40% वृद्धि
ग्रामीण घरेलू उपभोक्ता: 40-45% वृद्धि
कॉमर्शियल उपभोक्ता: 20-25% वृद्धि
औद्योगिक उपभोक्ता: 15-18% वृद्धि
कुल औसत प्रस्तावित वृद्धि: 29-30%
घाटे में बिजली कंपनियां, बोझ उपभोक्ताओं पर
बीते दिनों पावर कॉर्पोरेशन ने बिजली कंपनियों की वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसमें बताया गया कि आपूर्ति और खर्च के अंतर से 19,644 करोड़ रुपये का घाटा है। इस घाटे की भरपाई के लिए दरों में कम से कम 30% वृद्धि आवश्यक बताई गई थी। यह प्रस्ताव पहले ही चर्चा में था क्योंकि यह ऊर्जा इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी मांग मानी जा रही थी।

कैसे हुआ प्रस्ताव में बदलाव
ARR प्रस्ताव की सार्वजनिक स्वीकृति के बाद अब पावर कॉर्पोरेशन ने इस 30 प्रतिशत औसत वृद्धि को श्रेणीवार बांट दिया है और विभिन्न श्रेणियों में अलग-अलग इजाफा प्रस्तावित किया है। इससे आम उपभोक्ताओं पर प्रभाव और अधिक पड़ने की आशंका है। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्र, जहां पहले से ही बिजली की उपलब्धता सीमित है, वहां यह बढ़ोतरी लोगों के जीवन पर सीधा असर डालेगी।
पूर्व में भी खारिज हुआ था ऐसा प्रयास
यह पहला मौका नहीं है जब सुनवाई तय होने के बाद नया प्रस्ताव दाखिल किया गया है। पूर्व में भी विद्युत नियामक आयोग में सुनवाई शुरू हो जाने के बाद इसी तरह से श्रेणीवार दर वृद्धि का प्रस्ताव दाखिल किया गया था, जिसे उपभोक्ता परिषद के विरोध के बाद खारिज कर दिया गया था।
