
फ़ॉक्सलेंन न्यूज। अभी हाल ही में एसटीएफ और पुलिस द्वारा फर्जी डिग्री के मामले में हुई छापेमारी और कार्यवाही के बाद अब हापुड़ पिलखुवा विकास प्राधिकरण ने अंतिम नोटिस जारी कर दिया है। दरअसल हाईकोर्ट को गुमराह करके मोनाड प्रबंधन कई साल से प्राधिकरण की कार्रवाई को रोके हुए था।

प्राधिकरण को सुनकर हाईकोर्ट ने इस मामले में निर्णय करने का आदेश वीसी को दे दिया। उसके आधार पर मामला तय करके मोनाड को नोटिस जारी किए गए, लेकिन एक का भी उत्तर नहीं दिया गया। जिसके चलते अंतिम नोटिस जारी कर दिया गया। अब मोनाड के छात्रावास पर बुल्डोजर चलने की तैयारी की जा रही है।
आपको बता दें कि मोनाड का निर्माण जनवरी 2008 में बिना नक्शा स्वीकृत कराए आरंभ हुआ था। इसकी जानकारी होने पर पांच मार्च 2008 को प्रबंधन को नोटिस जारी किया गया। इसके बाद 28 मई 2009 को नक्शा स्वीकृत करा लिया गया। इस मामले में 3.19 करोड़ रुपया किस्तों में जमा कराना तय हुआ था।

पहली किस्त जमा करने के बाद मोनाड ने रुपया जमा नहीं किया और हाईकोर्ट से स्टे ले लिया। दरअसल उद्योगों की स्थापना पर शासन ने नक्शा शुल्क फ्री कर दिया था। हाईकोर्ट में यह मामला कोर्ट संख्या 20 में सुना गया। न्यायालय ने मोनाड के दावे को खारिज करते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी उद्योग में नहीं आती है। ऐसे में प्राधिकरण के वीसी इस मामले में स्वतः निर्णय लें। जांच में पाया गया कि यूनिवर्सिटी में मुख्य छात्रावास के आसपास के निर्माण को अवैध रूप से मानकों को ताक पर रखकर किया गया है।
जिसके चलते मोनाड पर 6.82 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया। इस मामले में मोनाड को आठ नोटिस जारी किए गए, लेकिन एक को भी गंभीरता से नहीं लिया गया। इस मामले में प्राधिकरण ने शुक्रवार को अंतिम नोटिस जारी किया है। इसमें 15 दिन का समय दिया गया है। 15 दिन में उत्तर नहीं देने पर पहले संबंधित भवन को सील किया जाएगा। उसके बाद गिराने की कार्रवाई की जाएगी।

हापुड़ विकास प्राधिकरण के सचिव प्रभारी परवीन कुमार गुप्ता का कहना है कि मोनाड के छात्रावास वाले भवन का निर्माण मानकों के अनुरूप नही किया है। उस मामले में 6.82 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है। इसके लिए अंतिम नोटिस भी जारी किया गया है। यदि 15 दिन में यह धनराशि जमा नहीं कराई जाती है तो छात्रावास को सील कर दिया जाएगा। उसके बाद गिराने की कार्रवाई की जाएगी।
