फ़ॉक्सलेन न्यूज़। दिल्ली-एनसीआर के कुछ स्कूलों में आरटीई अधिनियम 2009 का उल्लंघन करने का मामला प्रकाश में आया है। शिक्षा कार्यकर्ताओं और अभिभावकों का कहना है कि यह कदम छात्रों के अधिकारों का उल्लंघन है, जबकि अधिनियम के तहत केवल कक्षा 5 और 8 में ही छात्रों को रोकने की अनुमति है।

शिक्षा कार्यकर्ताओं और अभिभावकों का आरोप है कि दिल्ली-एनसीआर के कई प्रतिष्ठित स्कूलों ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का उल्लंघन करते हुए कक्षा 6 और 7 के छात्रों को अगली कक्षा में बढ़ने से रोक दिया है।

शिक्षा कार्यकर्ताओं और अभिभावकों ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर के कई प्रतिष्ठित स्कूलों ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम  (RTE) 2009 का उल्लंघन करते हुए कक्षा 6 और 7 के छात्रों को कथित तौर पर रोक रखा है।

दोबारा कक्षा दोहराना बच्चों के हित में नहीं

आरटीई अधिनियम की धारा 16ए में प्रावधान है कि प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष के अंत में कक्षा 5 और 8 में नियमित परीक्षाएं होंगी।

यदि कोई बच्चा पदोन्नति के मानदंडों को पूरा करने में विफल रहता है, तो उसे परिणाम घोषित होने की तिथि से दो महीने के भीतर पुनः परीक्षा के लिए अतिरिक्त अवसर दिया जाएगा।

नियमों में आगे कहा गया है कि यदि दोबारा परीक्षा देने वाला बच्चा पदोन्नति के मानदंडों को पूरा करने में विफल रहता है, तो उसे कक्षा 5 या 8 में रोक दिया जाएगा। 

नियम के अनुसार, किसी भी बच्चे को प्राथमिक शिक्षा पूरी करने तक किसी भी स्कूल से निष्कासित नहीं किया जाएगा। स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किए गए एक दस्तावेज के अनुसार, किसी बच्चे को एक कक्षा को दोबारा पढ़ने के लिए मजबूर करना हतोत्साहित करने वाला है।

एक कक्षा को दोहराने से बच्चे को एक और साल के लिए उसी पाठ्यक्रम की आवश्यकताओं से निपटने के लिए कोई विशेष संसाधन नहीं मिलते हैं।

ऐसे बच्चों के माता-पिता और दोस्त भी उन्हें फेल होने के योग्य मानते हैं, जिससे बच्चे को फेल घोषित करते समय स्कूल की धारणा को बल मिलता है।

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